मुक्तक
प्यार के नाम पर खलबली किसलिए
आशिकों से ये दुनिया जली किसलिए
गर मनाही है भौरों के आने की तो
बाग़ में खिल रही फिर कली किसलिए
प्रीतम श्रावस्तवी
श्रावस्ती(उ०प्र०)
प्यार के नाम पर खलबली किसलिए
आशिकों से ये दुनिया जली किसलिए
गर मनाही है भौरों के आने की तो
बाग़ में खिल रही फिर कली किसलिए
प्रीतम श्रावस्तवी
श्रावस्ती(उ०प्र०)