मुक्तक
खुद को ही महकाने के लिए थोडा इत्र ही काफी है
ये दिल बहलाने को महबूबा का चित्र ही काफी है।
ये उदास जिंदगी संवारने के लिए कुछ ज्यादा नहीं
बस इतना ही समझो प्यारा-सा मित्र ही काफी है।।
–अशोक छाबडा
खुद को ही महकाने के लिए थोडा इत्र ही काफी है
ये दिल बहलाने को महबूबा का चित्र ही काफी है।
ये उदास जिंदगी संवारने के लिए कुछ ज्यादा नहीं
बस इतना ही समझो प्यारा-सा मित्र ही काफी है।।
–अशोक छाबडा