मुक्तक
दिल की बात दिल में रह जाती है
हर जुल्मो सितम को सह जाती है
पढ सको तो चेहरे पढ़ा करो न
खामोशी बहुत कुछ कह जाती है।
जरूरी नहीं मानना किसी की बात हमेशा,
एक सा नहीं रहता कभी हालात हमेशा,
किसी का बस नहीं चलता है वक्त के आगे
सुकूनभरी नींद नहीं देती रात हमेशा।
नूर फातिमा खातून नूरी
जिला-कुशीनगर