मुक्तक
मुझको कभी मेरी तन्हाई मार डालेगी!
मुझको कभी तेरी रुसवाई मार डालेगी!
कैसे रोक सकूँगा मैं तूफाने-जख्म़ को?
मुझको कभी बेरहम जुदाई मार डालेगी!
#महादेव_की_कविताऐं’
मुझको कभी मेरी तन्हाई मार डालेगी!
मुझको कभी तेरी रुसवाई मार डालेगी!
कैसे रोक सकूँगा मैं तूफाने-जख्म़ को?
मुझको कभी बेरहम जुदाई मार डालेगी!
#महादेव_की_कविताऐं’