मुक्तक
मुक्तक
चिलचिलाती धूप में भी मांगते है भीख वो ।
जीवन यापन के लिए आज हुए मजबूर वो ।
जिंदगी की जंग को लड़ते रहते वो सदा,
आंख से आंसू है निकले देख ऐसे दृश्य को ।
अभिनव मिश्र
( शाहजहांपुर )
मुक्तक
चिलचिलाती धूप में भी मांगते है भीख वो ।
जीवन यापन के लिए आज हुए मजबूर वो ।
जिंदगी की जंग को लड़ते रहते वो सदा,
आंख से आंसू है निकले देख ऐसे दृश्य को ।
अभिनव मिश्र
( शाहजहांपुर )