** मुक्तक **
* गुल-ए-गुलशन से कोई
फूल तो चुनना होगा ।
अरे भ्रमर फिर पछतायेगा
जब ग़म-ए-उल्फ़त से
चूर तुझे होना होगा ।।
भीड़ में चलते हुए
आदमीं ने
भीड़ से कहा
ज़रा सम्भल कर चलना
भीड़ कभी अपने
पराये का भेद नहीं करती ।।
?मधुप बैरागी