मुक्तक
प्रेम में मिलना पाना कुछ होता ही नहीं है “जान”
प्रेम अपने अंदर की ऊर्जा है इसे …
किस से मांगोगी और किस से कहोगी प्रेम का करो दान …
~ सिद्धार्थ
…
छोटी सी चिड़ियाँ छोटे-छोटे पंख
चोंच में दाना डाले कूके जैसे शंख।
कुदक -फुदक कर अपना पंख देदे मुझको तू
चल उस से मिलकर आयें … हम और तू !
~ सिद्धार्थ