मुक्तक
मैं शख्त तो नहीं था मुझे तख्त से गरज भी नहीं था
औरों के लिए बड़ा अपने लिए छोटी चीजों में हर्ज नहीं था !
~ सिद्धार्थ
2.
भूखे मानुष के चीत्कार को भी कहे हैं लोग ढोंग
तोंद वाले के डकार को भी कहे, बड़ा है इनका रोग …?
~ सिद्धार्थ
3.
बेशर्मों की जमात को राजनीति कहते हैं
शर्म वालों को जो मूर्खों में गिनती करते हैं
~ सिद्धार्थ
4.
कोई बिक रहा है कोई खरीद रहा है, हाय बिकना बुरा थोड़ न है
सिक्कों को गर उछाला जाय, बेश्या के पैरों का थिरकना बुरा थोड़ न है…?
~ सिद्धार्थ