मुक्तक
मैं क्या ही लिखूंगी शेर कोई, मैं शायर थोड़ न हूं
तुमको सोचती हूं…
जो छलकता है शब्द बन के छुपाऊं उसे, मैं कायर थोड़ न हूं ।
~ सिद्धार्थ
2.
झुमके, बाली, कंगन, गजरा मत लाना
तुम आना तो इक किताब लेते आना…
~ सिद्धार्थ
3.
हम मिले ही कब थे जो बिछड़ जाएंगे
पानी हैं हम …
जब भी मिलेंगे तेरे जैसा ही नज़र आयेंगे
~ सिद्धार्थ