मुक्तक
1.
कहने वालों में हम बैठें हैं कौन अपनी सुनपाएगा
लफ्ज़ों के बीच फसा जज़्बात अल्फ़ाज़ ही रह जाएगा
~ सिद्धार्थ
2.
हम तेरे दिल में एक दिन एहसास बन उतर जायेंगे
तेरी मर्जी हो के न हो याद भीतर ही भीतर आयेंगे !
~ सिद्धार्थ
3.
बड़े बे अदब से हो मुर्सिद तुम जो मुहब्बत को इल्ज़ाम देते हो
कान उनका मरोडो जिन्होंने उन्हें कबूतर मारना सिखलाया…?
~ सिद्धार्थ