मुक्तक
नजरों के पास, किन्तु किनारों की तरह,
देख तो सकते, मगर दूर सितारों की तरह l
स्वप्न हैं, जरूरी नहीं पूरे हो जायँ कभी,
दूरियाँ, मजबूरियां हैं, जब दरारों की तरह l
नजरों के पास, किन्तु किनारों की तरह,
देख तो सकते, मगर दूर सितारों की तरह l
स्वप्न हैं, जरूरी नहीं पूरे हो जायँ कभी,
दूरियाँ, मजबूरियां हैं, जब दरारों की तरह l