मुक्तक
तेरी तस्वीर को कबतलक देखूँ?
जख्मे-तकदीर को कबतलक देखूँ?
सिसकते लफ्ज़ हैं लबों पर मेरे,
गम की जंजीर को कबतलक देखूँ?
#महादेव_की_कविताऐं’
तेरी तस्वीर को कबतलक देखूँ?
जख्मे-तकदीर को कबतलक देखूँ?
सिसकते लफ्ज़ हैं लबों पर मेरे,
गम की जंजीर को कबतलक देखूँ?
#महादेव_की_कविताऐं’