मुक्तक
शहर में सब है, पर सुकून नहीं है,
दिल कहीं है, और अरमान कहीं है,
दिन गुजरते नहीं, हम काट रहे हैं,
दूर रहकर जाना, कि गाँव सही है।
शहर में सब है, पर सुकून नहीं है,
दिल कहीं है, और अरमान कहीं है,
दिन गुजरते नहीं, हम काट रहे हैं,
दूर रहकर जाना, कि गाँव सही है।