मुक्तक
यूँ दिल के पाश से अब तो रिहाई हो नहीं सकती।
करे कुछ भी जमाना पर जुदाई हो नहीं सकती।
मैं हूँ तेरा, तू है मेरी, हकीकत है यहीं केवल-
जिसे अपना चुका हूँ मैं, पराई हो नहीं सकती।
यूँ दिल के पाश से अब तो रिहाई हो नहीं सकती।
करे कुछ भी जमाना पर जुदाई हो नहीं सकती।
मैं हूँ तेरा, तू है मेरी, हकीकत है यहीं केवल-
जिसे अपना चुका हूँ मैं, पराई हो नहीं सकती।