मुक्तक
फ़क़त उसके बांटने से नहीं बटें हम
हम में बाटने वाले जिन्न का साया है
मैं तो तुझ में तुझ जैसा ही हूं… तूने ही
कभी राम कभी रहमान कह के बुलाया है
~ सिद्धार्थ
फ़क़त उसके बांटने से नहीं बटें हम
हम में बाटने वाले जिन्न का साया है
मैं तो तुझ में तुझ जैसा ही हूं… तूने ही
कभी राम कभी रहमान कह के बुलाया है
~ सिद्धार्थ