मुक्तक
गर मयस्सर नहीं खुली धूप तुम को जाना
नफ़स – नफ़स में गर मौत कुलबुलाती है
तुम अजाबे लॉक डाउन में भी जाना
खुशी से अज़ाब की तरह ही रहो
~ सिद्धार्थ
गर मयस्सर नहीं खुली धूप तुम को जाना
नफ़स – नफ़स में गर मौत कुलबुलाती है
तुम अजाबे लॉक डाउन में भी जाना
खुशी से अज़ाब की तरह ही रहो
~ सिद्धार्थ