मुक्तक
खुशबू हो बिखर जाऊं मैं
तुम इत्रदान न लाना
की कैद हो जाऊं मैं।
~ सिद्धार्थ
प्रेम में हो … बने ही रहो
लोग आज कल
दूरियां बढ़ाने में मसरूफ़ है…?
~ सिद्धार्थ
मेरा ख्याल है कि तुम मेरे ख्याल में हो
आओ मैं तुम्हें ख़फ़ा करूं तुम मुझे बेवफ़ा कहो
~ पुर्दिल सिद्धार्थ