मुक्तक
सपने अगर जो देखो,तो हों आस्माँ से आगे।
मंजिल नहीं है मुश्किल, हों बुलन्द गर इरादे।
ज़िद हो अगर दिये की कि वो रोशनी करे तो,
हिम्मत नहीं है कि कोई आँधी उसे बुझा दे।।
✍? ‘रोली’ शुक्ला
सपने अगर जो देखो,तो हों आस्माँ से आगे।
मंजिल नहीं है मुश्किल, हों बुलन्द गर इरादे।
ज़िद हो अगर दिये की कि वो रोशनी करे तो,
हिम्मत नहीं है कि कोई आँधी उसे बुझा दे।।
✍? ‘रोली’ शुक्ला