मुक्तक
शाम ढल गयी है मगर रात रह गयी है!
मेरी चन्द लम्हों की बात रह गयी है!
किसतरह मैं रोक दूँ यादों का कारवाँ?
तेरे दर्द की अभी सौगात रह गयी है!
#महादेव_की_कविताऐं’
शाम ढल गयी है मगर रात रह गयी है!
मेरी चन्द लम्हों की बात रह गयी है!
किसतरह मैं रोक दूँ यादों का कारवाँ?
तेरे दर्द की अभी सौगात रह गयी है!
#महादेव_की_कविताऐं’