मुक्तक
मुक्तक
“मनुज” प्रकृति का प्रकोप है यह सारा,
विषाणु करें भयभीत फिरे मारा -मारा ,
पृथ्वी के नियमों का किया है बहिष्कार,
सोच विकल्प समय से अब क्यों तू है हारा ।।
✍©️
अरुणा डोगरा शर्मा मोहाली
मुक्तक
“मनुज” प्रकृति का प्रकोप है यह सारा,
विषाणु करें भयभीत फिरे मारा -मारा ,
पृथ्वी के नियमों का किया है बहिष्कार,
सोच विकल्प समय से अब क्यों तू है हारा ।।
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अरुणा डोगरा शर्मा मोहाली