मुक्तक
1.
सूखी शखों को भी ये तो खिल कर गुलनार कर देती हैं
ये फूल हैं यारा बेनूर दिलों को भी कचनार कर देती हैं
~ सिद्धार्थ
2.
मैं अपनी कहती हूं, तुम अपना समझते हो
इस कहने सुनने में तुम सब अपना लगते हो
~ सिद्धार्थ
1.
सूखी शखों को भी ये तो खिल कर गुलनार कर देती हैं
ये फूल हैं यारा बेनूर दिलों को भी कचनार कर देती हैं
~ सिद्धार्थ
2.
मैं अपनी कहती हूं, तुम अपना समझते हो
इस कहने सुनने में तुम सब अपना लगते हो
~ सिद्धार्थ