मुक्तक
1.
तेरे शहर से जाना अब मेरा दाना पानी उठता है
दिल को फुर्सत नहीं यादों से तेरी,
कदम है जो उलझा उलझा उठता है
~ पुर्दिल
2.
हम सोच पाते बस खुदी के लिए तो हम हम न होते
इस दशत ए दुनियां में मेरे लिए फिर कोई गम न होते
~ सिद्धार्थ
1.
तेरे शहर से जाना अब मेरा दाना पानी उठता है
दिल को फुर्सत नहीं यादों से तेरी,
कदम है जो उलझा उलझा उठता है
~ पुर्दिल
2.
हम सोच पाते बस खुदी के लिए तो हम हम न होते
इस दशत ए दुनियां में मेरे लिए फिर कोई गम न होते
~ सिद्धार्थ