मुक्तक
माना कि उलझनों भरी है उनकी जिंदगी में,
मैं चाह कर भी उन्हें सुलझा नहीं सकती।।
खुश रखने की कोशिश न करूँ तो क्या करूँ,
उम्मीदों का चिराग ये बुझा नहीं सकती।।
माना कि उलझनों भरी है उनकी जिंदगी में,
मैं चाह कर भी उन्हें सुलझा नहीं सकती।।
खुश रखने की कोशिश न करूँ तो क्या करूँ,
उम्मीदों का चिराग ये बुझा नहीं सकती।।