*मुक्तक*
मुस्कुरा कर ग़म भुलाना सबको नहीं आता !
हंसी में गम को छुपाना सब को नहीं आता !!
यूँ तो आजकल सब बड़े समझदार हैं मग़र !
दर्द सहकर भी मुस्कुराना सबको नहीं आता !!
मुस्कुरा कर ग़म भुलाना सबको नहीं आता !
हंसी में गम को छुपाना सब को नहीं आता !!
यूँ तो आजकल सब बड़े समझदार हैं मग़र !
दर्द सहकर भी मुस्कुराना सबको नहीं आता !!