घायल
यादों की ओढ़ी चुनर, पहन याद की पायल।
जिसने की जख्मी जिगर, दिल उनका है कायल।
नहीं बदन पर चोट का, दिखता कोई निशान-
आँखों से रिसता लहू,पोर-पोर है घायल।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
यादों की ओढ़ी चुनर, पहन याद की पायल।
जिसने की जख्मी जिगर, दिल उनका है कायल।
नहीं बदन पर चोट का, दिखता कोई निशान-
आँखों से रिसता लहू,पोर-पोर है घायल।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली