मुक्तक
मुक्तक-
किसकी नज़र लगी है बोलो,अपने प्यारे भारत को।
शांति छोड़ जिसने अपनाया ,दंगा और शरारत को।
आगजनी हिंसा का ताण्डव,हर ओर दिखाई देता है,
लोग धर्म के नाम लिख रहे,नफ़रत भरी इबारत को।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय
मुक्तक-
किसकी नज़र लगी है बोलो,अपने प्यारे भारत को।
शांति छोड़ जिसने अपनाया ,दंगा और शरारत को।
आगजनी हिंसा का ताण्डव,हर ओर दिखाई देता है,
लोग धर्म के नाम लिख रहे,नफ़रत भरी इबारत को।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय