Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Dec 2019 · 1 min read

मुक्तक

१.
कुछ कुछ अपने कुछ पराये लगते हो
तुम मुझे जिंदगी के सताये लगते हो !
…सिद्धार्थ
२.
ये सूरज जल रहा है, या हम तुम जल रहे हैं
या सांसों के रेशमी डोर पे धड़कन मचल रहे हैं
…सिद्धार्थ
३.
तुझ में कुछ तो अलग है
इस लिए तू मेरी तलब है
…सिद्धार्थ

Language: Hindi
2 Likes · 412 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सर्वोपरि है राष्ट्र
सर्वोपरि है राष्ट्र
Dr. Harvinder Singh Bakshi
उठो पथिक थक कर हार ना मानो
उठो पथिक थक कर हार ना मानो
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
जब आपके आस पास सच बोलने वाले न बचे हों, तो समझिए आस पास जो भ
जब आपके आस पास सच बोलने वाले न बचे हों, तो समझिए आस पास जो भ
Sanjay ' शून्य'
प्रेम और घृणा दोनों ऐसे
प्रेम और घृणा दोनों ऐसे
Neelam Sharma
खुदा किसी को किसी पर फ़िदा ना करें
खुदा किसी को किसी पर फ़िदा ना करें
$úDhÁ MãÚ₹Yá
बापू
बापू
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तेरे नयनों ने यह क्या जादू किया
तेरे नयनों ने यह क्या जादू किया
gurudeenverma198
बेटी
बेटी
Vandna Thakur
तो जानो आयी है होली
तो जानो आयी है होली
Satish Srijan
पूछी मैंने साँझ से,
पूछी मैंने साँझ से,
sushil sarna
वक़्त को वक़्त
वक़्त को वक़्त
Dr fauzia Naseem shad
परखा बहुत गया मुझको
परखा बहुत गया मुझको
शेखर सिंह
"बहाव"
Dr. Kishan tandon kranti
अभिनेता वह है जो अपने अभिनय से समाज में सकारात्मक प्रभाव छोड
अभिनेता वह है जो अपने अभिनय से समाज में सकारात्मक प्रभाव छोड
Rj Anand Prajapati
हाशिए के लोग
हाशिए के लोग
Shekhar Chandra Mitra
#छंद के लक्षण एवं प्रकार
#छंद के लक्षण एवं प्रकार
आर.एस. 'प्रीतम'
धरती पर जन्म लेने वाला हर एक इंसान मजदूर है
धरती पर जन्म लेने वाला हर एक इंसान मजदूर है
प्रेमदास वसु सुरेखा
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
■ ऐसा लग रहा है मानो पहली बार हो रहा है चुनाव।
■ ऐसा लग रहा है मानो पहली बार हो रहा है चुनाव।
*Author प्रणय प्रभात*
पापा गये कहाँ तुम ?
पापा गये कहाँ तुम ?
Surya Barman
तेरी खुशबू
तेरी खुशबू
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
हरा-भरा अब कब रहा, पेड़ों से संसार(कुंडलिया )
हरा-भरा अब कब रहा, पेड़ों से संसार(कुंडलिया )
Ravi Prakash
बिटिया !
बिटिया !
Sangeeta Beniwal
मिसाइल मैन को नमन
मिसाइल मैन को नमन
Dr. Rajeev Jain
#हौंसले
#हौंसले
पूर्वार्थ
मन में क्यों भरा रहे घमंड
मन में क्यों भरा रहे घमंड
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
2942.*पूर्णिका*
2942.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वादा  प्रेम   का  करके ,  निभाते  रहे   हम।
वादा प्रेम का करके , निभाते रहे हम।
Anil chobisa
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
डिजिटलीकरण
डिजिटलीकरण
Seema gupta,Alwar
Loading...