विरहन
नित नयनों में बादल अटके।
आँसू बन पलकों पर लटके।
मोती के कमलों पर बैठी-
विरहन का मन इत-उत भटके।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
नित नयनों में बादल अटके।
आँसू बन पलकों पर लटके।
मोती के कमलों पर बैठी-
विरहन का मन इत-उत भटके।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली