मुक्तक
तू कब मुझसे ही है कहती, मैं तुझसे कब ही हूँ कहता।
प्यार हमें दोनो को ही है, आखों से देखा हूँ बहता।
जगी है उम्र के इस मोड, पर चाहत यह मन कैसी,
गले बस एक बार ही मिल लें, दर्द हो कम जो हूँ सहता।
-अशोक छाबडा
तू कब मुझसे ही है कहती, मैं तुझसे कब ही हूँ कहता।
प्यार हमें दोनो को ही है, आखों से देखा हूँ बहता।
जगी है उम्र के इस मोड, पर चाहत यह मन कैसी,
गले बस एक बार ही मिल लें, दर्द हो कम जो हूँ सहता।
-अशोक छाबडा