मुक्तक
हम सोते रहे आरामदेह बिस्तरों पे नींद के बगैर
वो सो गया माटी पे यूं ही कागजी शब्दों को ओढ़।
… सिद्धार्थ
२.
फलक के दामन में देख चांद आधा सा
मैं अक्सर उसको याद करती हूं
जहां तू है, उठा नजरें देख चांद आधा सा
बड़ी शिद्दत से मै ये फरियाद करती हूं
दिल तो हो चुका उसका, नजर उससे खाबिंदा है
मैं अक्से चांद में अक्सर पुर्दिल उससे बात करती हूं
… सिद्धार्थ