मुक्तक
जब भी जिन्दगी से जिन्दगी जंग ठान लेती है,
न जाने क्यों तभी किस्मत ये इम्तिहान लेती है,
खुशी के पल से जब भी रूबरु होने का पल आता
हमारी रूह ग़म का शामियाना तान लेती है।
जब भी जिन्दगी से जिन्दगी जंग ठान लेती है,
न जाने क्यों तभी किस्मत ये इम्तिहान लेती है,
खुशी के पल से जब भी रूबरु होने का पल आता
हमारी रूह ग़म का शामियाना तान लेती है।