मुक्तक
१.
मन्दिर तुम रख लो, स्कूल हमें दे दो
मनुस्मृति तुम रख लो, संविधान हमें दे दो
भगवान तुम रख लो विज्ञान हमें दे दो
जातिवाद के पहाड़ तुम ढोलो,
इंसानियत में बसा प्रेम हमें दे दो
तुम सब कुछ रख लो
हमें तो बस जीने का अपना हक दे दो
… सिद्धार्थ
२.
जिंदगी आसान तो नही है
पर अपनी गति से चल रही है
कुछ सपने और उम्मीदों के साथ
कुछ दुख तो कुछ सुख के साथ
दिन रात के गोद में ढल रही है,
छोटे-छोटे सपने आखों के कोर में
सीप की मोती जैसे पल रही है
दिल उम्मीदवार किसब कुछ बेहतर होगा
जिंदगी बस इसी फ़लसफ़े पे चल रही है…
…सिद्धार्थ