मुक्तक
” तुझे जलती हुई लौ ,मुझको परवाना लिखा जाए,
हमारे दिल की चाहत है कि अफ़साना लिखा जाए,
ये दरिया ,झील ,पर्वत ,वादियों को छोड़कर आओ,
किताबों में दबे फूलों का मुरझाना लिखा जाए “
” तुझे जलती हुई लौ ,मुझको परवाना लिखा जाए,
हमारे दिल की चाहत है कि अफ़साना लिखा जाए,
ये दरिया ,झील ,पर्वत ,वादियों को छोड़कर आओ,
किताबों में दबे फूलों का मुरझाना लिखा जाए “