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25 Oct 2019 · 1 min read

मुक्तक

मैं तेरी सूरत का दीवाना हूँ कबसे।
मैं तेरी चाहत का अफ़साना हूँ कबसे।
अंज़ामें-बेरुख़ी से बिख़री है ज़िन्दग़ी-
मैं तेरे ज़ुल्मों का नज़राना हूँ कबसे।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
2 Likes · 560 Views
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