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11 Oct 2019 · 1 min read

मुक्तक

जाति-पाति के भेद की ऐसी है दीवार,
इसे तोड़ने में स्वयं प्रेम गया है हार ।
किन्तु मानूंगा नहीं मेरा ये है विचार ,
इसे हराने के लिए प्रतिपल हूँ तैयार…

Language: Hindi
2 Likes · 496 Views
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