Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Oct 2019 · 1 min read

मुक्तक

तेरी यादों में अक्सर चुपके – चुपके रो लेते हैं,
अश्कों से इस दिल के सारे ज़ख्मों को धो लेते हैं,
हर ग़म को मुस्कानों से ही ढक लेने की कोशिश है
इसी लिए हम दर्द में भी बेफिक्री से सो लेते हैं

Language: Hindi
2 Likes · 445 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे पास, तेरे हर सवाल का जवाब है
मेरे पास, तेरे हर सवाल का जवाब है
Bhupendra Rawat
*पाना दुर्लभ है सदा, सहस्त्रार का चक्र (कुंडलिया)*
*पाना दुर्लभ है सदा, सहस्त्रार का चक्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आतंकवाद
आतंकवाद
नेताम आर सी
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
जीवन मार्ग आसान है...!!!!
जीवन मार्ग आसान है...!!!!
Jyoti Khari
ना मुराद फरीदाबाद
ना मुराद फरीदाबाद
ओनिका सेतिया 'अनु '
ठंड
ठंड
Ranjeet kumar patre
क्या लिखूँ....???
क्या लिखूँ....???
Kanchan Khanna
दोस्तों के साथ धोखेबाजी करके
दोस्तों के साथ धोखेबाजी करके
ruby kumari
कर्म -पथ से ना डिगे वह आर्य है।
कर्म -पथ से ना डिगे वह आर्य है।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
कम आ रहे हो ख़़्वाबों में आजकल,
कम आ रहे हो ख़़्वाबों में आजकल,
Shreedhar
🌺हे परम पिता हे परमेश्वर 🙏🏻
🌺हे परम पिता हे परमेश्वर 🙏🏻
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
"बे-दर्द"
Dr. Kishan tandon kranti
you don’t need a certain number of friends, you just need a
you don’t need a certain number of friends, you just need a
पूर्वार्थ
हमें सूरज की तरह चमकना है, सब लोगों के दिलों में रहना है,
हमें सूरज की तरह चमकना है, सब लोगों के दिलों में रहना है,
DrLakshman Jha Parimal
मतदान और मतदाता
मतदान और मतदाता
विजय कुमार अग्रवाल
स्याह एक रात
स्याह एक रात
हिमांशु Kulshrestha
संगिनी
संगिनी
Neelam Sharma
दो पाटन की चक्की
दो पाटन की चक्की
Harminder Kaur
■ कल तक-
■ कल तक-
*Author प्रणय प्रभात*
लोगबाग जो संग गायेंगे होली में
लोगबाग जो संग गायेंगे होली में
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जुदाई की शाम
जुदाई की शाम
Shekhar Chandra Mitra
राजकुमारी कार्विका
राजकुमारी कार्विका
Anil chobisa
पैसों के छाँव तले रोता है न्याय यहां (नवगीत)
पैसों के छाँव तले रोता है न्याय यहां (नवगीत)
Rakmish Sultanpuri
इंतज़ार एक दस्तक की, उस दरवाजे को थी रहती, चौखट पर जिसकी धूल, बरसों की थी जमी हुई।
इंतज़ार एक दस्तक की, उस दरवाजे को थी रहती, चौखट पर जिसकी धूल, बरसों की थी जमी हुई।
Manisha Manjari
24/252. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/252. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
उसे देख खिल गयीं थीं कलियांँ
उसे देख खिल गयीं थीं कलियांँ
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
वाह नेता जी!
वाह नेता जी!
Sanjay ' शून्य'
সেই আপেল
সেই আপেল
Otteri Selvakumar
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
Loading...