मुक्तक
यहाँ पर नीति पर चलना लगे भारी अनीति है।
जहां दुष्कर्म पर लगती टिकी सब राजनीति है।
बताओ पाप यह फलता जमाने में सुना है’कब।
मगर बनती यहां सब पाप पोषक ही’ नीति है।
कलम घिसाई
यहाँ पर नीति पर चलना लगे भारी अनीति है।
जहां दुष्कर्म पर लगती टिकी सब राजनीति है।
बताओ पाप यह फलता जमाने में सुना है’कब।
मगर बनती यहां सब पाप पोषक ही’ नीति है।
कलम घिसाई