मुक्तक
देख हालातों को अब माँ भारती कहने लगी,
ज़िंदा है इंसान पर इंसानियत मरने लगी,
देखिये भाई से भाई कर रहा है दुश्मनी,
घर नही दिल में भी अब दीवार सी पड़ने लगी
देख हालातों को अब माँ भारती कहने लगी,
ज़िंदा है इंसान पर इंसानियत मरने लगी,
देखिये भाई से भाई कर रहा है दुश्मनी,
घर नही दिल में भी अब दीवार सी पड़ने लगी