मुक्तक
प्रणय में इम्तिहानों का सदा ही दौर चलता है,
सदा ही डूब दिल बस आग के दरिया निकलता है।
यही हँस कर कहा है आबलों ने पैर के हमसे,
मुहब्बत में कभी कोई, कहो क्या हाथ मलता है।
प्रणय में इम्तिहानों का सदा ही दौर चलता है,
सदा ही डूब दिल बस आग के दरिया निकलता है।
यही हँस कर कहा है आबलों ने पैर के हमसे,
मुहब्बत में कभी कोई, कहो क्या हाथ मलता है।