मुक्तक
ईश्वर तेरी दुनिया का ये कैसा ताना- बाना है,
मज़हब के झगड़ों में पावन रिश्तों का मर जाना है,
भाई कह भाई की गर्दन पर तलवारें रख देते
और लहू के धार-धार का पानी-सा बह जाना है,
ईश्वर तेरी दुनिया का ये कैसा ताना- बाना है,
मज़हब के झगड़ों में पावन रिश्तों का मर जाना है,
भाई कह भाई की गर्दन पर तलवारें रख देते
और लहू के धार-धार का पानी-सा बह जाना है,