मुक्तक
मुस्कुराना और चहकते रहना
दिल की गुबार को न आँखों से बहने देना
इश्क का ये भी मुख़्तसर सा अन्दाज है
न लब पे आहें ठहरे,न उतरे आँखों में लहू
ये इश्क का पुराना रस्म है !
…सिद्धार्थ
मुस्कुराना और चहकते रहना
दिल की गुबार को न आँखों से बहने देना
इश्क का ये भी मुख़्तसर सा अन्दाज है
न लब पे आहें ठहरे,न उतरे आँखों में लहू
ये इश्क का पुराना रस्म है !
…सिद्धार्थ