मुक्तक
१.
कहा था आओगे तुम मुलाकात के लिए
मैंने दाँतों में दबा रखा था रात
बस उसी एक छोटी सी बात के लिए !
…सिद्धार्थ
२.
शिकायत क्या भला मैं तुझ से रखूं
क्यूँ दिल के जुबान से
जुदाई का का फिर पुराना नमक चखूं !
…सिद्धार्थ
३.
छील लो मुझे चाहे हो जितनी मर्जी
बंद गोभी की तरह
आखरी पत्ती तक मिलेगी मेरे होने की अर्जी !
…सिद्धार्थ