मुक्तक
मुख़्तसर सी बस एक बात है,
दिल के जबां पे जो तेरा प्यार है।
मरने नही देता, जीने नही देता
जुदाई में भी तन्हा होने नही देता।
खाबो-ख्यालों में बस तू ही तू बसा है
दूसरी ख़ुशी का इंतख़ाब करने नही देता।
रात के किनारी को दाँतो से पकड़ रखा है
एक टूटा हुआ आस है जो सोने नही देता।
तू कौन है तेरा पता क्या है, तू यार है या
मेरा पता है, जो भी है मुझे खुश होने नही देता।
***
…सिद्धार्थ