मुक्तक
१.
जब तक चमन में तुम रहोगे
प्यार खिला रहेगा दिल के बाग़-बग़ीचे में
मेरी भी कुछ सांसे लेकर जीना
प्यार ज़िंदा रहे सब के दिल के दरीचे में !
…सिद्धार्थ
२.
ये जो इतनी मरम्त चल रही है सखी
अंदर सब टूट फूट हो रखा है क्या …?
प्यार की हवा जाने दो,
यूँ ही निखर आएगा,पता नही है क्या …?
…सिद्धार्थ
३.
लब को अपने मूक रहने की सजा दी है
आँखों पे बस नही मेरा
बोल उठे कुछ तो नाराज मत होना !
…सिद्धार्थ