मुक्तक
१.
वो डूब रहा था जाने कितनी हसरतें लेकर
हम तैरना उसको सीखा भी न पाए,
कोई नही…
कल फिर कोशिस करेंगे अपनी अना देकर !
…सिद्धार्थ
२.
ये जो इतनी मरम्त चल रही है सखी
अंदर सब टूट फूट हो रखा है क्या …?
प्यार की हवा जाने दो,
यूँ ही निखर आएगा,पता नही है क्या …?
…सिद्धार्थ