मुक्तक
१.
तुम अब दीवार पे ही टांग दो, तसवीर नही तकदीर मेरी
तुम्हारी चालाकियों ने नंगा किया है बदन की तहरीर मेरी !
…सिद्धार्थ
२.
न धन कमाया न दौलत कमाया, थोड़ी सी कमाई थी खुशियाँ
धन-दौलत खर्च होती रही
चलो इस बार खरचते हैं हम अपनी ही कमाई हुई कुछ खशियाँ !
…सिद्धार्थ