मुक्तक
१.
हमने लिबास समझ कर तुम्हें पहना ही नही था
कफ़न थे हमारे रूह का, वो भी तुम तो नोच चले !
…पुर्दिल
***
मेरी चाहत की सिद्द्त तुम्हें पता कहां है
हम ने तो
हर सांस के आने-जाने में सोचा है तुमको
…पुर्दिल
३.
मेरे नाम से लिपटा छोटा सा हर्फ कोई जब
सूखे पत्तों पे यूँ ही उभर आता होगा
दूर रह कर भी उसे याद मेरी दिलाता होगा
…पुर्दिल