आओ कष्ट मिटा देंगे सारे बाबा।
मैं जीना सकूंगा कभी उनके बिन
A Dream In The Oceanfront
*स्वर्गीय श्री जय किशन चौरसिया : न थके न हारे*
याद करने पर याद करता है ,
तूझे क़ैद कर रखूं मेरा ऐसा चाहत नहीं है
हिन्दी ग़ज़ल के कथ्य का सत्य +रमेशराज
ख़ुश-कलाम जबां आज़ के दौर में टिक पाती है,
मुझे लगता था किसी रिश्ते को निभाने के लिए
******** कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो *********
हृदय पुकारे आ रे आ रे , रो रो बुलाती मेघ मल्हारें
अब रह ही क्या गया है आजमाने के लिए
रिश्तों की गहराई लिख - संदीप ठाकुर