मुक्तक
मुझे मेरे हिस्से का दर्द बहुत अजीज है
पहली बार मिला है आखिरी तक रखूंगी।
दो पर दिए थे कुदरत ने नेमत कह कर
परवाज़ छोड़ के अब मौत को ही चखूंगी !
…सिद्धार्थ
मुझे मेरे हिस्से का दर्द बहुत अजीज है
पहली बार मिला है आखिरी तक रखूंगी।
दो पर दिए थे कुदरत ने नेमत कह कर
परवाज़ छोड़ के अब मौत को ही चखूंगी !
…सिद्धार्थ