मुक्तक
तुम नहीं हो तो मन का मनन व्यर्थ है,
सारे जीवन की आशा दमन व्यर्थ है।
मेरे जीवन का झरना है सूखा पड़ा,
निर्झरी बन के आओ तो कुछ अर्थ है।
बेल जीवन की पत्तों से सूनी हुई,
मुक्त सारे ही बंधन से वह हो गई।
प्यास प्राणों की अब तक बुझी ही नहीं।
बन के दरिया जो आओ तो कुछ अर्थ है